खैट पर्वत परियों का देश उत्तराखंड का रहस्यमयी पर्वत Khet Parvat Uttarakhand

Vijay Sagar Singh Negi
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आज के ब्लॉक में हम ऐसे पर्वत के बारे में जानेंगे जिसमें मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि री  अर्थात परिया वास करती है गढ़वाल में परियों को री कहा  जाता है इस पर्वत का नाम है खैट पर्वत परियों का देश.
 जोकि टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड में स्थित है तथा समुद्र तल से करीब 10000 फीट की ऊंचाई पर है यह थात गांव के पास ही गुंबदाकार का पर्वत  है ।  यह पर्वत गांव से करीब 5 किलोमीटर दूर है यह गांव घंनसाली में  पड़ता है यह khet Pravat पर्वत जन्नत से कम नहीं है। कहते हैं यहां लोगों को अचानक ही कहीं परियों के दर्शन हो जाते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि परियां आस-पास के गांवों की रक्षा करती हैं.

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खैट  पर्वत का रहस्य



लोगों की मान्यता के अनुसार एक राजा हुआ करते थे जिनका नाम आशा रावत था जिनकी 9 पुत्रियां ही  री बन गई कहानी के अनुसार-
चौदाण  गांव में राजा आशा रावत का  राज था उसकी छह पत्नियां थी लेकिन उनका कोई पुत्र नहीं था राजा बहुत परेशान रहने लगा था उनकी परेशानी को देखकर उनकी बड़ी पत्नी ने कहा कि आप राजा हो तो आप सातवां विवाह कर सकते हो तब राजा थात गांव मे गए वहां दीपा पवार ने उनकी खातिरदारी की तथा उन्होंने राजा से कहा कि आप यहां किस कार्य के लिए आए हो तो राजा ने कहा मैं आपकी छोटी बहन देवा से शादी करना चाहता हूं उसके बाद राजा का विवाह देवा  रानी  से हो गया तथा वह चौदाण रानी बनकर आ गई कुछ समय बाद रानी देवा ने नो बच्चे को जन्म दिया जिनका नाम राजा ने कमला रौतेली ,देवी रौतेली ,आशा रौतेली , वासदेइ रौतेली, इगुला रौतेली, बिगुल रौतेली , सदेइ  रौतेली,गरादुआ रौतेली और वरदेइ रौतेली थी यह बच्चे आम बच्चों की तरह नहीं थी बल्कि चमत्कार से कम भी नहीं थे जब यह 5 वर्ष के थे तब वे छज्जा पर चढ़ने लगे थे तथा जब यह 12 वर्ष के हुए तो सुंदर युवती बन गई जब एक रात वे सभी बहने सूरज गहरी निंद्रा में सो रखी थी तो उनके सपने में सेम नागराज आए तथा उन्होंने उन सभी बहनों को अपनी रानी बना दिया सुबह उठते ही जब सभी बहने जल स्रोत गए तो उन्होंने देखा कि उनके गांव में अंधेरा पर रखा है तथा ऊंचे पर्वतों में धूप खिली हुई है उन्होंने ऊंचे ऊंचे पर्वतों में फूलों के बागान देखें तथा उनसे सज सावरकर इंद्र की अप्सरा जैसी लगने लगी उसके बाद वह अपने पुरोहितों के गांव में गए.
 जहां उनकी सांकरी छूट गई सांकारी का अर्थ होता है चुनरी इसी कारण उस गांव का नाम सांकारी पड़ा उस गांव वालों ने उन बहनों का खूब आदर सत्कार किया के बाद वे पहने वहां से अपने मामा के  यहां गए उनके मामा दीपा पवार अपनी भाजिओ को देखकर बहुत प्रसन्न हुए उसके बाद गांव के कुआं में  गई तथा  अपनी परछाई कोई हमें देखकर एक दूसरे से कहने लगी कि मैं सुंदर हूं मैं सुंदर हूं जब वे थोड़े ऊपर गई तो उन्होंने देखा कि उनके मामा के गांव में तो अंधेरा पर रखा तथा ऊंचे ऊंचे पर्वतों में धूप खिली हुई है.

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 आगे बढ़ते हुए खैट खाला पहुंची वहां खेत का राक्षस रहता था जब से नाराज नहीं होने खैट पर्वत (khet Pravat)  की तरफ बढ़ते हुए देखा तो वे उनके आगे आगे चल दिए उन्होंने राक्षस की मती भी सही कर दी थी वे सब खैट पर्वत में पहुंचकर री बन गई तथा आवारा पशुओं का धर्म है भ्राता बन गया यह आछरी बन कर अलमू  भगवा के सपने  मैं आई उन्होंने कहा कि अगर पीडी पर्वत मैं मंदिर बना दे तो उसे पुत्र प्राप्ति होगी जब उन्होंने का मंदिर बनाया तो उनके दो पुत्र हुए आज भी कई लोगोंंंंं का मानना है कि यह परियां उस पर्वत पर वास करती हैं तथा  लोग  उन्हें देवियों केेेे रूप में पूजते हैं.




खैट उत्तराखंड का रहस्यमयी पर्वत


लोगों की मान्यता के अनुसार यह परियां गांव की रक्षा करती है और आज भी वही रहती है अक्सर वहां बहुत सारे फल फूल होते हैं जो कि उसी khet pravatपर्वत  रहते हैं तो फिर खराब हो जाते हैं वह सिर्फ उसी पर्वत तक सही सलामत रहते हैं हैरत की बात यह है क‌ि इस वीराने में स्वत ही अखरोट और लहसुन की खेती भी होती है। अखरोट के बागान लुकी पीड़ी पर्वत पर मां बराडी का मंदिर गर्भ जोन गुफा है। भूलभुलैय्या गुफा जहां नाग आकृतियां उकेरी हुई हैं। नैर-थुनैर नामक दो वृक्ष जिसके पत्तों से महकती है अजीबोगरीब खुशबू।



चोटी में मखमली घास से ढका एक खूबसूरत मैदान है। जहां से दृष्टि उठाते ही सामने क्षितिज में एक छोर तक फैली हिमचोटियों के भव्य दर्शन होते हैं। आसपास दूर-दर तक कोई दूसरा पर्वत शिखर न होने से ये इकलौता लघुशिखर अत्यंत भव्य मैदान पर पहुंचकर ऐसा आभास होता है मानों हम वसुंधरा की छत पर पहुंच गए हैं। दिल इस पर्वत शिखर से लौटने की अनुमति आसानी से नहीं देता है। कहते है कि थात गॉव से 5किमी दूरी पर स्थित खैट खाल मंदिर है रहस्यमयी शक्तियों का केंद्र है। प्राचीनकाल से ही इस जगह पर इन बुग्यालों में चिल्लाना, चटक कपड़े पहनना, बेवजह वाद यंत्र बजाना, प्रकृति विपरीत काम करना पूरी तरीके से प्रतिबंधित है। इसलिए वहीं जाएं जो तीन दिन तक नियम संयम और बिना शराब कबाब शबाब के रह सके।

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