उत्तराखंड तीर्थ स्थल धारी देवी मंदिर
नमस्कार दोस्तों आज हम एक ऐसे मंदिर के बारे में जानेंगे जिसमें कहा जाता है कि यहां काली माता शांत स्वभाव से बैठी हुई है इस मंदिर की खास बात यह है कि इसमें मां काली दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है जी हां हम ऐसे ही मंदिर के बारे में जो कि उत्तराखंड के पौड़ी जिले में स्थित है जिसका नाम है धारी देवी मान्यता है कि इस मंदिर में जो जाता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है खासकर यहां नव विवाहित जोड़ें जाते हैं, तथा अपनी मनोकामना मां के दर्शन करते हैं कहा जाता है कि इस मंदिर में मां धारी देवी स्वरूप गलती है सुबह एक छोटी सी बालिका दिन में युवा औरत तथा शाम को औरत के रूप में बदलती है.
यहां मंदिर नदी के बीचों-बीच उपस्थित है, जो सन 2013 में बांध निर्मित होने की वजह से इसकी पुरानी जगह से उठाकर नदी के ऊपर बना दिया गया था काली मां के मंदिर में मां काली शांत बैठी हुई है, यहां मां का मस्तक का भाग है तथा इसका दूसरा भाग कालीमठ में स्थित है यहां मंदिर का नाम धारी गांव जोकि मंदिर के पीछे टिहरी गढ़वाल जिले में पड़ता है उसके नाम से पड़ा मंदिर का उसके अलकनंदा नदी के ऊपर पानी के बीचों-बीच मन लुभाता है तथा भक्तों का यहां के प्रति आस्था बहुत अत्यधिक है यहां सिर्फ नगर गढ़वा से 15 किलोमीटर आगे है.
मुख्य द्वार धारी देवी
पौराणिक कथा के अनुसार धारी देवी मंदिर
लोगों की माने तो धारी नामक एक युवती थी, जिसके सात भाई थे वहां अपने सातो भाइयो से बहुत प्रेम करती थी किंतु उसके भाई उसे उतना अच्छा नहीं मानते थे क्योंकि उसका काला था तथा जब वहां युक्ति पैदा हुई थी, तो उन भाइयों से कहा गया था कि यह तुम्हारे जीवन के लिए सही के लिए सही नहीं है, इसलिए शायद उसके भाई उसे पसंद नहीं करते थे किंतु धारी अपने भाइयों को अत्यंत प्रेम करते थे.
बड़े होकर उनके बारे में शादी हो गई जब वह युक्ति बढ़ी हुई युवती बड़ी हुई तो उसके पांच भाइयों की मृत्यु हो गई तो घबराकर तो घबराकर उन दो भाइयों की पत्नी ने उसने कहा की इससे पहले आपको कुछ हो तो आप अपनी बहन को मार दीजिए ताकि आप सुरक्षित रह सके क्या यह सुनकर उन दोनों भाइयों ने रात्रि के अंधेरे में अपनी बहन के सिर और धड़ चाकू से काट कर उसे अलकनंदा में प्रभावित कर दिया सुबह जा एक व्यक्ति नदी के किनारे कपड़े धुल रहा था.
आप तो उसे एक लड़की पानी में डूब तू ही नजर आई वह उसको बचाने के लिए जाना ही रहा था तो उसने देखा कि पानी का बहुत ज्यादा है तो वहां नहीं किया किंतु उसके पश्चात उस लड़की ने उस आदमी से कहा कि तुम डरो नहीं मैं तुम्हारी सहायता करूंगी तुम मुझे बचाओ तुम जहां जहां पर रखते जाओगे,
वहां वहां में सीढ़ियां बनाते जाऊंगी जैसे ही उस आदमी ने नदी में पैरा का वहां जहां जहां पर रखता गया वहां वहां सीढ़ियां बनती गई जब गुस्सा देने उसे उठाया तो वहां डर गया क्योंकि जिसे वह लड़की समा रहा था वह कटा हुआ सिरसा परंतु उसने यहां देवी का चमत्कार समझकर उसे नदी से बाहर लाया तथा माता धारी ने कहा कि मुझे एक पत्थर पर रख दो मैं यही रहूंगी यहां कहकर वह पत्थर में बदल गई लोगों ने चमत्कार समझकर वहां माता का मंदिर बना दिया था कहा जाता है कि जो भी वहां आता है उसकी हर मनोकामनाएं पूरी हो जाती है यहां सिर्फ एक मान्यता है इसका कोई पुराण इसका कोई सबूत नहीं है क्या लोगों द्वारा बनाई गई कथा है, जिसका आज तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है, तुम इसका दावा नहीं करता कि यह कथा सत्य है या असत्य पर लोगों की मान्यता यही है.
क्या धारी धारी देवी का मंदिर पहले से पानी के ऊपर था ?
आज के समय में हम धारी के देवी के मंदिर को अलकनंदा नदी के ऊपर बना देखते हैं जो कि बीच नदी इसमें भीमो से ऊपर बना हुआ है, पहले यहां नदी के किनारे बना हुआ था जब यहां एक बांध बनाया गया तो इसे उसी स्थान से उठाकर ऊपर बना दिया गया तभी से ही धारी देवी का मंदिर लगना नदी के बीचो-बीच खड़ा है जिसमें जाने के लिए पुल बना हुआ है सन 2013 में यहां ऊपर उठाया गया.
2013 में आई हुई आपदा के बारे में
कहा जाता है कि जब केदारनाथ धाम में आपदा आई तो उससे एक दिन पहले माता के मूर्ति को यहां से हटाया गया था और उसके अगले यहां भयानक आ यह एक जोखिम है, आपदा आई लोगों की मान्यता यह भी है कि जो भी यहां भागल पढ़ते हैं बादल फटते हैं वह माता का प्रकोप है क्योंकि माता को उनके वास्तविक स्थान से हटा दिया है. इसीलिए यहां आपदा थी यहां सिर्फ लोगों का मानना है हम इसकी में इसे समर्थन नहीं करते ना ही इसकी कोई वैधता भी नहीं देते यह सिर्फ लोगों की मान्यता है तथा इसका ना कोई पुख्ता सबूत है ना कोई पुख्ता जवाब या से भ्रांतियां है या फिर सच्चाई इसका कोई कहा नहीं सकता है.
मेरा मकसद किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है ना ही लोगों की मान्यता को ठेस पहुंचाना ब्लॉक पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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