कैलाश पर्वत के बारे में (हर हर महादेव)
नमस्कार दोस्तों आज के ब्लॉग में हम कैलाश पर्वत के बारे में जानेंगे तो चलो अब शुरू करते हैं शुरू करने से पहले चंद पंक्तियां भोले के पर्वत के लिए
पर्वत है यहां भोले का, जिसमें भोले का वास हैपड़ते दो ताल भी इसमें मानसरोवर व राक्षसताल
मानसरोवर का शीतल है,
नहाया जहां रावण था वो राक्षस ताल का पानी खारा है
बर्फ से ढका रहता यह 12 महीनो
निकलती चारो ओर से नदिया है इसमेंहै शंकर बैठे यहां पर तपस्या में लीन हैpचढ़ न पाया कोई भी इसमें रहस्य अपार हैदिशा भूल जाते लोग इस पे चढ़ने के बाद हैशिवलिंग की तरह है पर्वत दिखता
शिव का रूप इसमें भोले की लीला अपार है
कैलाश पर्वत पर रहते भोले भंडारीपर्वत है यहां भोले का, जिसमें भोले का वास है
तो चलिए शुरू करते हैं कैलाश पर्वत जिसमें हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव का वास है और कहा जाता है कि भगवान शिव यहां तपस्या में बैठे रहते हैं और इस पर्वत की आकृति शिवलिंग की तरह है इस पर्वत पर 12 महीने बर्फ पड़ी रहती है तथा यहां बर्फीली चट्टानों से ढका रहता है
अधिकतर लोगों को यह लगता है कि यहां पर्वत भारत में उपस्थित है किंतु यहां तिब्बत में दार्जिलिंग में स्थित है यहां सिर्फ भारत से जाने वाले रास्ते जैसे सिक्किम और उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से यहां की यात्रा की जाती है उसी पर्वत के बारे में हम जानेंगे कि आखिरकार उस पर्वत पर कोई क्यों नहीं जा पाता है जिसमें कहा जाता है की आज तक कोई भी उसके ऊपर नहीं चढ़ा जिसकी ऊंचाई लगभग 6638 मीटर है तथा माउंट एवरेस्ट पर्वत की ऊंचाई 8848 मीटर है परंतु माउंट एवरेस्ट से कम ऊंचाई होने पर भी आज तक कैलाश पर्वत पर कोई भी पर्वतारोही चढ नहीं पाया है कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पर चढ़ना नामुमकिन है और जो भी यहां चढ़ता है कि वह थोड़ा सा चढ़कर वापस लौट आता है अनेकों पर्वतारोही ने इन पर चढ़ने का प्रयास किया किंतु वे विफल रहे और वे आधे रास्ते से वापस लौट कर आ गए कैलाश पर्वत पर चढ़ने पर हमारे नाखून और बाल बहुत तेजी से बढ़ते हैं,वह इतनी तेजी से बढ़ते क है जितने कि हमारे 1 हफ्ते में बढ़ते हैं वहां सिर्फ 2 दिनों में ही बढ़ जाते हैं तथा चेहरे पर बुढ़ापा सा महसूस होता है इसलिए आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत पर नहीं चल पाया है
अधिकतर लोगों को यह लगता है कि यहां पर्वत भारत में उपस्थित है किंतु यहां तिब्बत में दार्जिलिंग में स्थित है यहां सिर्फ भारत से जाने वाले रास्ते जैसे सिक्किम और उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से यहां की यात्रा की जाती है उसी पर्वत के बारे में हम जानेंगे कि आखिरकार उस पर्वत पर कोई क्यों नहीं जा पाता है जिसमें कहा जाता है की आज तक कोई भी उसके ऊपर नहीं चढ़ा जिसकी ऊंचाई लगभग 6638 मीटर है तथा माउंट एवरेस्ट पर्वत की ऊंचाई 8848 मीटर है परंतु माउंट एवरेस्ट से कम ऊंचाई होने पर भी आज तक कैलाश पर्वत पर कोई भी पर्वतारोही चढ नहीं पाया है कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पर चढ़ना नामुमकिन है और जो भी यहां चढ़ता है कि वह थोड़ा सा चढ़कर वापस लौट आता है अनेकों पर्वतारोही ने इन पर चढ़ने का प्रयास किया किंतु वे विफल रहे और वे आधे रास्ते से वापस लौट कर आ गए कैलाश पर्वत पर चढ़ने पर हमारे नाखून और बाल बहुत तेजी से बढ़ते हैं,वह इतनी तेजी से बढ़ते क है जितने कि हमारे 1 हफ्ते में बढ़ते हैं वहां सिर्फ 2 दिनों में ही बढ़ जाते हैं तथा चेहरे पर बुढ़ापा सा महसूस होता है इसलिए आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत पर नहीं चल पाया है
क्या आज तक कोई भी कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ा
क्या आज तक कोई भी कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ा इसका जवाब आज हम जानेंगे कहा जाता है कि एक तिब्बती बौद्ध योगी मिलारेपा 11 वीं शताब्दी में चढ़े थे एक 2004 "यूएनस्पेशियल" मैगज़ीन के आर्टिकल में यह प्रकाशित हुआ था किन्तु मिलारेपा ने इसके बारे में कभी कुछ नहीं कहा और आज तक कोई भी उस पर्वत पर चढ़ा तो वह उस पर पूरा नहीं चढ़ पाया और आधे रास्ते से ही वापस आ गया जो जो ऊपर वाला ही उस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की है उनका कहना है कि इस पर्वत में चढ़ने पर उनका हृदय परिवर्तन हो जाता है तथा वह वापस लौट आते हैं वहां जाने पर आठ दिशा भटक जाते हैं इसलिए बिना दिशा सूचक के से आगे नहीं जाते हैं और वापस लौट आते हैं और बहुत सारे लोगों ने चढ़ने की कोशिश की किंतु वे विफल रहे
कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ पाते है
किसी के कथन के तौर पर यह कहा गया है कि यहां एक बर्फीला मानव रहता है जो कि इस पर्वत मे रहता है और उन्हें पर्वत के शिखर तक पहुंचने नहीं देता अब इसके सबूत तो है नहीं बस यही कहा जाता है कोई व्यक्ति आज तक कैलाश पर्वत की चोटी में नहीं पहुंच पाया है वैज्ञानिकों के शोध अनुसार कैलाश पर्वत 100 पिरामिड से मिलकर बना है पिरामिड का अर्थ होता है "वह बहुफलक जिसका आधार बहुभुज होता है और दूसरे फलक त्रिभुजाकार होते हैं, जिनका एक सर्वनिष्ठ शीर्ष होता है "अर्थात बहुत सारे टुकड़ों से मिलकर बना हुआ पर्वत.
कैलाश पर्वत में उपस्थित ताल
कैलाश पर्वत में दो ताल है एक मानसरोवर ताल और दूसरा राक्षसताल श्रद्धालु अक्सर इन तालो का दर्शन करने आते रहते हैं तथा कैलाश पर्वत की परिक्रमा करते हैं,मानसरोवर का सूर्य का ताल है तथा राक्षसताल चंद्रमा का
मानसरोवर ता ताल में पार्वती मां स्नान करती है इसलिए वहां का पानी बड़ा शीतल है श्रद्धालुओं की माने तो आज भी माता पार्वती यहां स्नान किया करती है
राक्षसताल में पानी खारा है पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस राक्षसताल में रावण ने शंकर भगवान से मिलने से पहले स्नान किया था तथा उसके यहां स्नान करने से उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी इसीलिए लोग इसमें स्नान नहीं किया करते हैं
"वैज्ञानिकों के शोध अनुसार इसमें कई गैसों का मिश्रण है जो कि हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं इसलिए इस ताल में स्नान करना मना है
राक्षसताल में पानी खारा है पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस राक्षसताल में रावण ने शंकर भगवान से मिलने से पहले स्नान किया था तथा उसके यहां स्नान करने से उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी इसीलिए लोग इसमें स्नान नहीं किया करते हैं
"वैज्ञानिकों के शोध अनुसार इसमें कई गैसों का मिश्रण है जो कि हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं इसलिए इस ताल में स्नान करना मना है
ब्लॉक पढ़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद
विजय सागर सिंह नेगी (सागरी)