kranteshwar mahadev mandir champawat Uttarkhandi

Vijay Sagar Singh Negi
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क्रांतेश्वर मंदिर परिचय (kranteshwar mahadev temple champawat Uttarakhand)

नमस्कार दोस्तों आज हम इस ब्लॉग में एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में आपको अवगत कराएंगे जिसमें चरण तो पड़े थे, भगवान विष्णु के कूर्मावतार के किंतु जाना जाता है वह महादेव के मंदिर के रूप में तो चलिए जानते हैं,इस  मंदिर की बारे में और यदि आपको पहाड़ की ऊंची-ऊंची चोटियों पर जाने का शौक है तो आप क्रांतेश्वर मंदिर जा सकते हैं| Kranteswar mahdev मंदिर उत्तराखंड के चंपावत की सबसे ऊंचे पर्वत कूर्म पर्वत में स्थित है तथा अपनी ऊंचाई पर होने के कारण यह चंपावत के सबसे ऊंचे पर्वत पर उपस्थित मंदिर के रूप में जाना जाता है| इस मंदिर को महादेव के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, कहा जाता है कि कुमाऊ का नाम इसी कूर्म पर्वत के नाम पर पड़ा है,क्योंकि संस्कृत में कूर्म शब्द का अर्थ होता है कुमाऊं|
इस पर्वत से  पूरे चंपावत का दृश्य दिखाई देता है व बादलों से चारों ओर का दृश्य में ऐसा लगता है मानो हम बादलों के बीच घूम रहे हो भक्त लोग यहां दूध फल इत्यादि चढ़ाने आते हैं तथा उत्तराखंड के चंपावत जिले की सबसे ऊंचे ऊंचे पर्वत होने के कारण यहां सैलानियों के लिए भी एक अच्छी जगह है जहां  लगता है जैसे कि स्वर्ग में पहुंच गई हो मंदिर के परगन से हिमालय की बर्फ का लुभावना दिर्श्य भी आपको मंत्र मुग्ध कर देता है लगता है जैसे महादेव खुद हिमलाय की ओर से अपने भगतो को दर्शन दे रहे हो|

पौराणिक कथा क्रांतेश्वर मंदिर की

एक कहानी के अनुसार भगवान विष्णु के कूर्म अवतार का पैर इस पर्वत पर एक जगह पर पड़ा था तथा आज भी एक पत्थर पर उनके पैरों के निशान साफ-साफ देखे जा सकते हैं उनकी पैरों के निशान की पूजा  होती है |  स्कंद पुराण में कूर्म पर्वत का  जिक्र है| कई लोगों के मन में ना समझें बुरा होगा कि आखिर यार विष्णु भगवान के पैर पड़े थे तो यहां भगवान शिव का मंदिर क्यों,क्योंकि शिव भगवान इस पर्वत पर बैठकर ध्यान लगाया था,इसलिए इस मंदिर को Kranteswar mahdev महादेव के मंदिर के नाम से जाना जाता है तथा पर्वत का नाम कूर्म भगवान विष्णु के कूर्मावतार के कारण पड़ा है|



इस मंदिर का रखरखाव कौन करता है

मंदिर में पहुंचकर आपको वहां एक साधु जी मिलेंगे जो कि Kranteswar mahdev मंदिर का रखरखाव करते हैं वे वहां आए हुए श्रद्धालुओं को दर्शन तथा उन्हें चाय पानी पिलाते हैं उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन इस मंदिर को समर्पित कर दिया है वे वहां  बारहमासा रहते हैं उनसे बात करते हुए हमने जाना कि वे  हर रोज रोजमर्रा की सामग्री लेने के लिए  पर्वत से नीचे आते हैं, उसके बाद वापस मंदिर में लौट जाते हैं उन्होंने कहा कि मुझे बाजार से मंदिर की अोर वापस आते हुए सिर्फ डेढ़ घंटे का समय ही लगते हैं व मैं यहां वर्षों से यही कार्य करता रहा हूं, उनसे बात करके मन को अति शांति प्रदान हुई|

Kranteswar mahdev मंदिर तक पहुंचने का रास्ता

जब इस स्थान पर पहुंचने वाले रास्ते पर चला जाता है तो रास्ते में बहुत सारे छोटे-छोटे गांव पड़ते हैं,  इन  गांव के बीच से गुजरकर रास्ते में चलते हुए आपको प्राकृतिक सुंदरता से भरे हुए जंगल वा जंगल में उपस्थित बुरांश,काफल जैसे बहुत सारे पेड़ो का जमावड़ा देखने को मिलेंगे जिन्हें खा कर आपका रास्ता आसानी से कट जाता है | उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के जिला चंपावत से 5- 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित है यहां तक जाने के लिए पैदल मार्ग उपस्थित है जो कि लगभग 2 या 3 किलोमीटर का होगा इस Kranteswar mahdev मंदिर में पहुंचकर पुरे चम्पावत अति सुंदर दर्शन किये जा सकते है|
ब्लॉग पढ़ने के लिए तहे दिल से शुक्रिया