उत्तराखंड के तीर्थ स्थल भीम पुत्र घटोत्कच मंदिर Ghatothkach Temple Champwat Uttrakhand
नमस्कार दोस्तों हम आज एक ऐसे मंदिर के बारे में आप सबको बताने जा रहा हूं जो कि महाभारत कालीन है और यह मंदिर महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच Ghatothkachको समर्पित है ब्लॉग में हम सब जानेंगे कि आखिर कैसे घटोत्कच का यह मंदिर
महाभारत सबने सुनी/देखी (टेलीविजन या मोबाइल पर)ही होगी और और महा ग्रंथ गीता भी महाभारत युद्ध के दौरान कृष्ण द्वारा अर्जुन को सुनाई गई थी,पर क्या आप लोग जानते हैं कि एक ऐसे महाबली जिसने की कौरवों को दांतो तले उंगली दबाने पर विवश कर दिया|
महाभारत सबने सुनी/देखी (टेलीविजन या मोबाइल पर)ही होगी और और महा ग्रंथ गीता भी महाभारत युद्ध के दौरान कृष्ण द्वारा अर्जुन को सुनाई गई थी,पर क्या आप लोग जानते हैं कि एक ऐसे महाबली जिसने की कौरवों को दांतो तले उंगली दबाने पर विवश कर दिया|
महाभारत के युद्ध को पांडवों की विजय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ऐसे ही महायोद्धा महाबली भीम पुत्र घटोत्कच का मंदिर उत्तराखंड के चंपावत जिले में उपस्थित है।
यहां किस राज्य में उपस्थित है,तो ज्यादा जानने के लिए अंतिम पंक्ति तक जरूर पढ़ें|
महाभारत के अनुसार घटोत्कच अपने मन मुताबिक अपना शरीर की लंबाई घटा व बढ़ा सकता था वह एक पल में छोटा तथा एक पल में बहुत विशाल हो जाता था, हम घटोत्कच मंदिर Ghatothkachको में आपको बता रहे हैं व उस मंदिर में इस मंदिर में घटोत्कच के धड़ गिरा था जोगिया जिला का रूप ले चुका है तथा वहां घटोत्कच की पूजा की जाती है|
घटोत्कच मंदिर के पीछे छुपी पौराणिक कथा
चंपावत जिले में उपस्थित यहां घटोत्कच मंदिर पांडवों द्वारा बनाया गया था कहां जाता है कि जब भीम पुत्र घटोत्कच युद्ध भूमि में आए तो उन्होंने कौरवों के कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था तब अमोघ शास्त्र का प्रयोग करके कर्ण ने दुर्योधन के कहने पर घटोत्कच पर चला दिया| (अमोघ शास्त्र कर्ण नहीं अर्जुन के लिए रखा हुआ था किंतु उसे घटोत्कच ने अपने ऊपर ले लिया, रोचक बात यह भी है कि अगर घटोत्कच तराई तराई मान ना मचाता तो कर्ण अमोघ शास्त्र का उपयोग अर्जुन पर ही करने वाला था और अगर अर्जुन पर यह शब्द का प्रयोग हो जाता तो महाभारत का युद्ध कौरव जीते ना कि पांडव)
जिसके कारण घटोत्कच का धारण इस जगह पर आकर गिरा था| घटोत्कच ने भीम को वचन दे रखा था कि जब भी वह उसे याद करेंगे तो रोज कर उनके सामने प्रकट हो जाएगा|अब आप सोचेंगे कि घटोत्कच का मस्तक इतनी दूर कैसे गिर गया
महाभारत युद्ध खत्म होने पर भीम व सभी पांडव भाई घटोत्कच के मस्तक को ढूंढने लगे तब पांडवों के सपने में खुद घटोत्कच ने उन्हें अपने मस्तक के बारे में बताया जब सभी पांडव इस स्थान पर आए तो यहां पर एक बड़ा सा जलकुंड था जिसके अंदर घटोत्कच का मस्तक गिरा हुआ था तब अर्जुन ने अपने बाढ़ से उस जलकुंड को सुखा दिया व उस जगह पर घटोत्कच के मस्तक को स्थापित किया तथा वहां पर एक मंदिर बनाया पांडवों ने उसी स्थान पर घटोत्कच के मस्तक का पूजन किया वहां मस्तक आज एक शिला के रूप में आपको मंदिर में आज भी दिखाई देगा|
कहां से पहुंचा जा सकता है घटोत्कच मंदिर
घटोत्कच मंदिर Ghatothkach Temple के लिए आपको सर्वप्रथम उत्तराखंड के चंपावत डिस्ट्रिक्ट में जाकर मेन चंपावत से लगभग 2 या 3 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर सड़क से 200 मीटर की दूरी पर स्थित है जहां आपको चारों ओर देवदार के वृक्ष दिखाई देंगे जो कि आपकी टूरिज्म और मनमोहक दृश्य के लिए काफी है इस स्थान पर आकर आप बेहतरीन छायाचित्र भी खींच सकते हैं|
चंपावत को दूसरे शब्दों में आप मंदिरों का जिला भी कह सकते हैं यह गलत नहीं होगा कि हम इसे मंदिरों का जिला भी कहे क्योंकि यहां शिव के 7 मंदिर हैं तथा उसके अलावा भी अनेकों मंदिर किस जिले में स्थित है|
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