अगर आपसे कहा जाये कि आपको एक हाथ कोई भारी पत्थर को उठाना है तो आप क्या उठा पायेंगे नही न अगर आपसे कहा जाए कि आपको कोई चट्टान को काटना है या तोड़ना है किसी बड़े हथौड़े से वह भी एक हाथ का प्रयोग करके तो आप कहोगे यह कैसी बात कर रहे हैं एक हाथ से भला कोई बड़े हथौड़े से किसी चट्टान को कैसे तोड़ सकता है.
Ek hathiya Nauka Dhakana Champawat Uttarakhand |
कितु एक व्यक्ति द्वारा एक पूरी चट्टान को काटकर उसमें इतनी खूबसूरत नक्काशी कर एक ऐसा स्थान बनाया ऐसी चीज बनाई जिसे नौला कहा जाता है और वह भी सिर्फ अपने एक हाथ द्वारा जी हाँ आपने सही पढ़ा में बात कर रहा हूं.
उत्तराखंड के चम्पावत जिले में उपस्थित एक हथिया नौला की जो एक कारीगर ने अपने एक हाथ द्वारा बनाया गया है (सबसे पहले आपको यहां बता दें कि जो नौला होता है उसका क्या मतलब होता है? नौला का मतलब यह होता है कि ऐसी चला जहां पानी का स्रोत हो तथा वहां पर पानी रहता है ऐसी जगह को नौला कहां जाता है)|
उस व्यक्ति के द्वारा पत्थर के चट्टान को काटकर एक ऐसा छोटा सा भवन तैयार किया गया जिसमें छोटी-छोटी नक्काशी करके अनेकों मूर्तियां गुँथी गयी है, वहां देख कर ऐसा लगता है मानो यहां मूर्तियां कुछ बोल रही हो ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि हां एक हाथ द्वारा बनाई हो आपको एक रोचक बात बताएं कि यहां इस नौला को उस कारीगर ने एक दिन में ही तैयार करके बना लिया था|
है ना अचंभा की बात कि कोई एक हाथ से 1 दिन में इतना सुंदर खूबसूरत नक्काशी कैसे कर सकता है यहां नौला एक राष्ट्रीय धरोहर है जो कि हमारी संस्कृति व सभ्यता को दर्शाता है तथा बताता है कि पुराने समय में हमारे उत्तराखंड में ऐसे भी कलाकार थे जिन्होंने अपनी कलाकृति से अपनी सभ्यता को बढ़ावा दिया तथा इससे अपना नाम इतिहास के पन्नों में सुशोभित कर दिया,इस जगह का नाम एक हाथ से बनाए जाने के कारण एक हथिया नौला (Famous Ek hathiya Naula- stone Carving Champawat) पड़ा है.
एक हथिया नौला(Famous Ek hathiya Naula- stone Carving Champawat) पीछे की कहानी
स्थानीय लोगों के अनुसार चंपावत में स्थित बालेश्वर महादेव का मंदिर इसी कारीगर द्वारा बनाई हुई एक अविश्वसनीय व अनदेखी कलाकृतियां है, जब इस कारीगर ने बालेश्वर मंदिर बनाया था तो उसके बाद चंद शासकों ने ऐसी कलाकृति कहीं और ना बने इसीलिए इस कारीगर के एक हाथ कटवा दिए थे, पर कहते हैं ना जिसका खुद पर विश्वास वा मन में वह संकल्प कर ले तो उसके इरादे कोई नहीं तोड़ सकता ऐसा ही उस कारीगर ने किया उसने अपनी कला को एक हाथ के जरिए इस ek hathiya Naula नोल है के रूप में दिखा दिया की कला किसी से हाथों में नहीं होती |
Ek hathiya Naula ki kahani se sikh
कहानी से हमें एक बात सीखने को मिलती है कि हर कोई अपनी जिंदगी से हार मान लेता है वह सोचता है या काम मेरे लिए नहीं बना और मैं यहां का नहीं सकता इसलिए अगर हमें खुद पर विश्वास है तो हम कोई भी कार्य कर सकते हैं.
आज यहां नौला राष्ट्रीय धरोहर होने के बावजूद भी एक दयनीय स्थिति में है,शायद इसकी देखरेख ना होने का कारण यह आज थोड़ी सी दयनीय स्थिति में है.
इस नौला में बहुत सारी मूर्तियों आधी टूटी हुई है ,वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि बहुत समय पहले यहां से मुसलमान शासक आए थे.
इस नौला में बहुत सारी मूर्तियों आधी टूटी हुई है ,वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि बहुत समय पहले यहां से मुसलमान शासक आए थे.
Ek hathiya Naula कहां से पहुंचा जा सकता है
चंपावत से लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर यह ek hathiya Naula नौला उपस्थित है जो कि ढकना गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूरी पर बांज तथा बुरांश के जंगलों के बीच स्थित है|
इसलिए उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि यहां बहुत सी Touriust place in Uttarkhand ऐसी चीज व स्थान है जो कि खुद में ही पूरा इतिहास व उत्तराखंड की संस्कृति सभ्यता को छुपाए हुए हैं.
उम्मीद है आपको यह आर्टिकल Ek hathiya Naula dhakana champawat पसंद आई हो,Blogपढ़ने के लिए धन्यवाद ऐसी ही ब्लॉग पढ़ने के लिए आप मेरी अन्य ब्लॉग पढ़ सकते हैं मैं उत्तराखंड के ऐसे ही स्थानों के बारे में लिखता रहता हूं.
यह भी आपको पसंद आएगा -