उत्तराखंड का पांचवा धाम सेम नागराजा भाग-1

Vijay Sagar Singh Negi
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नमस्कार दोस्तों आज हम एक ऐसे  मंदिर के बारे में  जानेंगे जिसे उत्तराखंड का पांचवा धाम Uttarakhand Ka Panchava dham भी कहते हैं जी हां मैं बात कर रहा हूं सेम मुखेम नागराजा मंदिर की जिसे उत्तराखंड के श्रद्धालु पांचवे धाम Panchava Dham के नाम से भी जानते हैं तो शुरू करने से पहले चंद पंक्तियां इस धाम के नाम

    देवभूमि में जहां कृष्णा नागराज का वास है
    वह मंदिर सेम  नागराज है

    मंदिर स्थापित हुआ जब देवभूमि में
    समय था वह द्वापर  काल का
    देवभूमि में स्थान है इसका पांचवा धाम (Panchava Dham) का
    द्वार पर विराजमान जहां कृष्णा और नागराज है

    वह मंदिर सेम  नागराज है
    नागराज के रूप में पूजा होती कृष्ण जहां पर

    वह स्थान  सेम मुखेम नागराज है
    पूजा होती जहां कृष्ण नागराज के साथ  जिनकी
    वे रमोला जाति के राजा गंगू रमोला का परिवार है
    पूजा होती जिस शिला की कृष्णा का वह  अंश है
    मूर्ति  है दाये  हाथ मे शिला के 
    वह गंगू रमोला का परिवार है
    दूर-दूर से आते श्रद्धालु ऐसा यह पवित्र धाम है
    नवंबर में लगा रहता श्रद्धालुओं का यहां तांता है
    देवभूमि में जहां कृष्णा  नागराज का वास है
    वह मंदिर सेम नागराज है

    तो शुरू करते हैं कुछ मंदिर के बारे में जानकारी उत्तराखंड के पांचवे धाम (Uttarakhand Ka Panchva Dham) के नाम से जाने जाने वाला यह मंदिर टिहरी गढ़वाल जिले में उपस्थित एक छोटे से गांव मुखेम में स्थित है  तथा यह मंदिर कृष्ण और नागराज  दोनों के नाम से मिलकर बना है इसीलिए इसको सेम नागराज या सेम मुखेम नागराज  कहते हैं यहां मंदिर पर्वतों के बीच में स्थित है ,मंदिर में जाने के लिए पैदल मार्ग हैं जो कि मुखेम गांव से शुरू होता  हैं .


    sem mukhem nagarajaa mandir
    इस शिला पर श्री कृष्ण का अंश है

    सेम नागराजा मंदिर की आस्था 

    मंदिर के द्वार पर पहुंचने पर आपको श्री कृष्ण नागराज के ऊपर बंसी बजाते हुए दिखेंगे इस द्वार की ऊंचाई लगभग 28 फुट तथा चौड़ाई 14 फुट है मंदिर के गर्भ गृह में श्री कृष्ण शिला के रूप में है कहा जाता है कि इसमें श्री कृष्ण का एक अंश है शिला के दाएं साइड में कुछ मूर्तियां हैं जो कि वहां के राजा गंगू रमोला का परिवार है कृष्ण और नागराज के साथ वहां गंगू रमोला के परिवार की भी पूजा होती है.
    इस मंदिर में सोने के नाग नागिन चढ़ाने की भी परंपरा है, रोचक बात यह है कि यहां के लोगों का यह मानना है कि यहां एक जगह पर ऐसी मिट्टी है जिससे दूध निर्माण किया जा सकता है,इसी मिट्टी को मटियानी मिट्टी कहां जाता है.

    sem nagarajaa mndir
     गंगू रमोला के परिवार की मूर्तियां

    सेम मुखेम नागराजा (Uttarakhand ka panchava dham) की पौराणिक कथाएं


    Uttarakhand ke Panchave Dham से जुड़ी हुई कई  कथाएं प्रचलित है, तो आइए कुछ  बहु चर्चित कथाओ पर हम भी नजर डालते लेते है |

    पहली कथा के अनुसार
    कथा के अनुसार जब श्री कृष्णा बाल्यावस्था में थे तो वे एक बार यमुना नदी के किनारे अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे खेलते खेलते उनकी गेंद यमुना नदी में गिर गई ,यमुना का पानी  में कालिया नाग की  वजह से जहरीला हो गया था जब कृष्णा नदी में जाए तो उनकी कालिया नाग के साथ युद्ध हुआ युद्ध के पश्चात कालिया नाग कृष्ण से हार गए तथा कृष्ण ने उन्हें केदारखंड जिसे की हम लोग और आप सभी आज  गढ़वाल के नाम से जानते हैं.वहां जाने के लिए कहा कालिया नाग ने कृष्ण से उनके दर्शन की जिज्ञासा की जाएगी इसी कारण कृष्ण बाद मैं कालिया नाग को दर्शन देने के लिए यहां आ गए उन्होंने यहां की सुंदरता देखकर यही रहने कि सोची.
    एक रोचक बात  यह है कि जब हम मंदिर के द्वार पर पहुंचते हैं तो द्वार पर बने श्री कृष्ण नागराज  के ऊपर खड़े होकर बांसुरी बजा रहे हैं  यह दृश्य आपको धारावाहिक प्रोग्रामों जैसा की कृष्ण लीला और बहुत सारे पोस्टरों में दिखाए गए कृष्ण के यमुना वाले चित्र को उजागर करता है जिससे इस कहानी को जोड़ा जा सकता है |

    मंदिर से जुड़ी और भी पौराणिक कथाएं हैं, जो कि यहां के लोगों के बीच बहुत प्रचलित है तथा उनकी मान्यता है कि इससे भी Uttarakhand ka Panchave Dham मंदिर के बहुत सारे रहस्य जुड़े हुए हैं अभी के लिए इतना ही,

    अगले ब्लॉग में संपूर्ण कहानियां व  मंदिर तक पहुंचने वाले मार्ग के बारे में जानेंगे धन्यवाद