नमस्कार दोस्तों आज हम एक ऐसे मंदिर के बारे में जानेंगे जिसे उत्तराखंड का पांचवा धाम Uttarakhand Ka Panchava dham भी कहते हैं जी हां मैं बात कर रहा हूं सेम मुखेम नागराजा मंदिर की जिसे उत्तराखंड के श्रद्धालु पांचवे धाम Panchava Dham के नाम से भी जानते हैं तो शुरू करने से पहले चंद पंक्तियां इस धाम के नाम
देवभूमि में जहां कृष्णा नागराज का वास है
वह मंदिर सेम नागराज है
मंदिर स्थापित हुआ जब देवभूमि में
समय था वह द्वापर काल का
देवभूमि में स्थान है इसका पांचवा धाम (Panchava Dham) का
द्वार पर विराजमान जहां कृष्णा और नागराज है
वह मंदिर सेम नागराज है
नागराज के रूप में पूजा होती कृष्ण जहां पर
वह स्थान सेम मुखेम नागराज है
पूजा होती जहां कृष्ण नागराज के साथ जिनकी
वे रमोला जाति के राजा गंगू रमोला का परिवार है
पूजा होती जिस शिला की कृष्णा का वह अंश है
मूर्ति है दाये हाथ मे शिला के
वह गंगू रमोला का परिवार है
दूर-दूर से आते श्रद्धालु ऐसा यह पवित्र धाम है
नवंबर में लगा रहता श्रद्धालुओं का यहां तांता है
देवभूमि में जहां कृष्णा नागराज का वास है
वह मंदिर सेम नागराज है
तो शुरू करते हैं कुछ मंदिर के बारे में जानकारी उत्तराखंड के पांचवे धाम (Uttarakhand Ka Panchva Dham) के नाम से जाने जाने वाला यह मंदिर टिहरी गढ़वाल जिले में उपस्थित एक छोटे से गांव मुखेम में स्थित है तथा यह मंदिर कृष्ण और नागराज दोनों के नाम से मिलकर बना है इसीलिए इसको सेम नागराज या सेम मुखेम नागराज कहते हैं यहां मंदिर पर्वतों के बीच में स्थित है ,मंदिर में जाने के लिए पैदल मार्ग हैं जो कि मुखेम गांव से शुरू होता हैं .
इस शिला पर श्री कृष्ण का अंश है |
सेम नागराजा मंदिर की आस्था
मंदिर के द्वार पर पहुंचने पर आपको श्री कृष्ण नागराज के ऊपर बंसी बजाते हुए दिखेंगे इस द्वार की ऊंचाई लगभग 28 फुट तथा चौड़ाई 14 फुट है मंदिर के गर्भ गृह में श्री कृष्ण शिला के रूप में है कहा जाता है कि इसमें श्री कृष्ण का एक अंश है शिला के दाएं साइड में कुछ मूर्तियां हैं जो कि वहां के राजा गंगू रमोला का परिवार है कृष्ण और नागराज के साथ वहां गंगू रमोला के परिवार की भी पूजा होती है.इस मंदिर में सोने के नाग नागिन चढ़ाने की भी परंपरा है, रोचक बात यह है कि यहां के लोगों का यह मानना है कि यहां एक जगह पर ऐसी मिट्टी है जिससे दूध निर्माण किया जा सकता है,इसी मिट्टी को मटियानी मिट्टी कहां जाता है.
गंगू रमोला के परिवार की मूर्तियां |
सेम मुखेम नागराजा (Uttarakhand ka panchava dham) की पौराणिक कथाएं
Uttarakhand ke Panchave Dham से जुड़ी हुई कई कथाएं प्रचलित है, तो आइए कुछ बहु चर्चित कथाओ पर हम भी नजर डालते लेते है |
पहली कथा के अनुसार
कथा के अनुसार जब श्री कृष्णा बाल्यावस्था में थे तो वे एक बार यमुना नदी के किनारे अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे खेलते खेलते उनकी गेंद यमुना नदी में गिर गई ,यमुना का पानी में कालिया नाग की वजह से जहरीला हो गया था जब कृष्णा नदी में जाए तो उनकी कालिया नाग के साथ युद्ध हुआ युद्ध के पश्चात कालिया नाग कृष्ण से हार गए तथा कृष्ण ने उन्हें केदारखंड जिसे की हम लोग और आप सभी आज गढ़वाल के नाम से जानते हैं.वहां जाने के लिए कहा कालिया नाग ने कृष्ण से उनके दर्शन की जिज्ञासा की जाएगी इसी कारण कृष्ण बाद मैं कालिया नाग को दर्शन देने के लिए यहां आ गए उन्होंने यहां की सुंदरता देखकर यही रहने कि सोची.
एक रोचक बात यह है कि जब हम मंदिर के द्वार पर पहुंचते हैं तो द्वार पर बने श्री कृष्ण नागराज के ऊपर खड़े होकर बांसुरी बजा रहे हैं यह दृश्य आपको धारावाहिक प्रोग्रामों जैसा की कृष्ण लीला और बहुत सारे पोस्टरों में दिखाए गए कृष्ण के यमुना वाले चित्र को उजागर करता है जिससे इस कहानी को जोड़ा जा सकता है |
मंदिर से जुड़ी और भी पौराणिक कथाएं हैं, जो कि यहां के लोगों के बीच बहुत प्रचलित है तथा उनकी मान्यता है कि इससे भी Uttarakhand ka Panchave Dham मंदिर के बहुत सारे रहस्य जुड़े हुए हैं अभी के लिए इतना ही,
अगले ब्लॉग में संपूर्ण कहानियां व मंदिर तक पहुंचने वाले मार्ग के बारे में जानेंगे धन्यवाद
अगले ब्लॉग में संपूर्ण कहानियां व मंदिर तक पहुंचने वाले मार्ग के बारे में जानेंगे धन्यवाद