उत्तराखंड के रहस्यमयी दीबा देवी मंदिर पौराणिक कथाएँ और अनसुलझे रहस्य || diba Mata Mandir ke rahshya

Negi jii Tehri Wale
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धरती के स्वर्ग दीबा माता मंदिर की यात्रा | Deeba Mata Mandir Pauri Garhwal Uttarakhand

नमस्कार दोस्तों क्या आपने कभी ऐसा मंदिर सुना है जहां सुबह 4:00 बजे सूर्योदय होता है और जहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं? आज हम आपको एक ऐसे ही अद्भुत मंदिर के बारे में बताएंगे। यह मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है। आइए जानते हैं इस मंदिर की कहानी और इसके रहस्यों के बारे में।

Deeba Mata Mandir PauriGarhwal

दीबा माता मंदिर: एक परिचय

दीबा माता का मंदिर (diba Mata Mandir) ऋषिकेश से लगभग 175 किलोमीटर की दूरी पर खूबसूरत वादियों के बीच स्थित है। यह मंदिर न केवल अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसके साथ जुड़ी पौराणिक कथाएं और रहस्य भी इसे विशेष बनाते हैं।

मंदिर की अद्भुत विशेषताएँ

दीबा माता का मंदिर (diba Mata Mandir) का सूर्योदय अद्भुत है। सुबह 4:00 बजे जब सूर्य निकलता है, तो वह तीन रंगों में अपना स्वरूप बदलता है। इसे देखने के लिए लोग रात में ही मंदिर के पास पहुँच जाते हैं। माता रानी के आशीर्वाद से, रात के समय भी लोग अकेले ही जंगलों से गुजर सकते हैं।

पूजा और प्रसाद

दीबा माता का मंदिर (diba Mata Mandir) में नारियल और गुड़ का प्रसाद चढ़ाया जाता है। यहाँ के प्रसाद में रसूल नामक वृक्ष के पत्ते का उपयोग होता है, जिसे बहुत शुभ माना जाता है। इस पेड़ पर कभी भी कोई हथियार नहीं चलाया जाता है, और लोग इसके पत्तों को हाथ से तोड़कर ही प्रसाद ग्रहण करते हैं।

पौराणिक कथा

कहानी है कि गोरखाओं ने जब पट्टी खाटली नामक स्थान पर आक्रमण किया, तब माता दीबा दीबा माता का मंदिर (diba Mata Mandir)ने यहाँ अवतार लिया। माता ने सबसे पहले पुजारी के स्वप्न में दर्शन दिए और अपना स्थान बताया। इसी स्थान पर पुजारी ने माता की स्थापना की।

गुफाओं का रहस्य

माता की मूर्ति के नीचे गुफाएँ हैं, जो अब पूरी तरह से ढक चुकी हैं। कहते हैं कि माता साक्षात यहाँ निवास करती थीं और अपने सेवक बेरा के साथ लोगों को गोरखाओं के आने की सूचना देती थीं।

चमत्कारी पत्थर

मंदिर में एक ऐसा पत्थर है जिसे जिस दिशा में घुमा दिया जाता है, उस दिशा में बारिश होने लगती है। इस स्थान को स्थानीय भाषा में "डौंडिया" यानी की "आवाज़ लगाना" कहा जाता है।

रात को ही दर्शन

दीबा माता मंदिर की मान्यता है कि यहां पर दीबा माता के दर्शन करने के लिए रात को ही चढ़ाई चढ़कर सूर्योदय से पहले मंदिर पहुँचना पड़ता है। सूर्योदय के दर्शन बहुत शुभ माने जाते हैं और इससे किसी भी व्यक्ति को कोई समस्या नहीं आती है।

रहस्यमयी पेड़

मंदिर के आसपास के पेड़ केवल भंडारी जाति के लोग ही काट सकते हैं। यदि कोई अन्य व्यक्ति इन पेड़ों को काटता है, तो पेड़ों से खून जैसा तरल पदार्थ निकलने लगता है।

यात्रा का सार

अगर आप भी इस अनोखे और रहस्यमयी मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।