Deeba Devi Mandir Pauri Garhwal Uttarkhandदीबा देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड

Vijay Sagar Singh Negi
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 उत्तराखंड के तीर्थ स्थालो मे एक दीबा देवी मंदिर परिचय 

नमस्कार दोस्तों क्या आपने कभी सुना है कि किसी मंदिर के आस पास पाए जाने वाले  पेड़ों को काटने पर उन से खून जैसा तरल पदार्थ निकले अगर नहीं तो चलिए जानते हैं ऐसे ही एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसके चारों के पेड़ो को कटाने पर उनसे खून जैसा तरल पदर्थ निकलता है हम बात कर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में पट्टी खाटली में स्थित दीबा देवी मंदिर के बारे में जो मंदिर अपने आप में रहश्य का भंडार है | तो किये जानते है इस मंदिर की मान्यता और रहस्यों के बारे में|

दीबा देवी मंदिर की पौराणिक कथा 

देवो की भूंमि उत्तराखंड में जब गोरखाओ ने आक्रमण करके अपने अधीन कर लिया था, तो उन्होंने इस क्षेत्र पर भी अपनी सेना को भेजकर वहां के लोगो को जान से मारना शुरू कर दिया था तब दीबा माँ ने गोरखाओ से वहां के लोगों की  रक्षा करने के लिए अवतार लिया व एक आदमी के स्वपन में आकर अपना यहाँ स्थान बताया था, दीबा मां को इस क्षेत्र की रक्षक देवी भी कहा जाता है, माँ ने गोरखाओ का संघार करके उस स्थान को धन्य कर दिया|जहां यह मंदिर स्थित है उस स्थान को दीबा डाडा कहा जाता है |
कहा जाता ही माँ इसी मंदिर से उस क्षेत्र  के लोगो को आवाज लगाकर बताती थी की गोरखा सेना कहाँ से आ रहे है यहाँ की एक रोचक बात यह है की इस मंदिर से चारो तरफ साफ साफ दूर तक देखा जा सकता है,किन्तु किसी अन्य  मंदिर की जगह नहीं दिखयी देती अब इसे माँ का चमत्कार ही कहा सकते है | मंदिर में जहाँ माँ की प्रतिमा है उस स्थान पर एक भूमि के निचे गुफा बनी हुई है दीबा देवी इसी गुफा में वह के लोगो को गोरखा सेना से बचने के लिए छुपा दिया करती थी| आज यह गुफा समय के साथ थोड़ी बहुत दिखाई देती क्युकी यह बहुत सारे पथरो के टुकड़ो से दब चुकी है |

दीबा देवी मंदिर के रहस्य

मंदिर से जुड़े बहुत सारे रहस्य है जो आज तक सुलझे ही नहीं है ,इस मंदिर में एक ऐसा पत्थर जिसे जिस भी दिशा में करे उस दिशा में बारिश होने लगती है ,मंदिर में दर्शन करने का समय सूर्य उदय से पहले है कहा जाता है की माँ के दर्शन सूर्य उदय के बाद नहीं किये जा सकते है,एक विचित्र बात यहाँ भी है की मंदिर के चारो और पाए जाने वाले पेड़ो को अगर कटा या उनपे कोई पत्थर फेका जाये तो उनसे खून जैसा तरल पदार्थ निकलता है,पेड़ो के पीछे एक कहानी यहाँ है,की ये सभी पेड़ मनुष्य थे जो की एक श्राप के कारण पेड़ बन गए|
इन पेड़ो का आकर भी थोड़ा अलग ही है वह के लोग कहते है की इन पेड़ो को सिर्फ वह भंडारी जाति के लोग हिओ काट सकते है |
जिसके घर में किसी की मृत्यु हुई हो और किसी बच्चे ने जनम लिया हो, माँ दीबा उन लोगो को दर्शन नहीं देती है,यहाँ वह के लोगो में मान्यता है| दीबा माँ को शांति में रहना पसंद है अगर कोई इंसान ढोल दामू के साथ मंदिर के दर्शन करने जाता  है तो वह मंदिर तक नहीं अब इसे इतेफाक ही कहा सकते है की मैं सड़क से सिर्फ 50-60मीटर दुरी होने पर भी आप दर्शन नई कर पाएंगे  
लोगो का कहना है कि आज भी दीबा माँ कभी कभी एक सफ़ेद बालो वाली औरत के रूप में भी दर्शन देती है, अब इस बात में कितनी सचाई है ये हम कहा नहीं सकते है |


कहाँ से पहुँचा जा सकता है

 ऋषिकेश से लगभग 112 किलोमीटर श्रीनगर गढ़वाल आकर वह से पौड़ी गढ़वाल रोड से 175 किलोमीटर दूरी पर NH-121 पर स्थित पट्टी-खाटली  दीबा डांडा में यहाँ प्रचीन मंदिर है| सड़क से करीबन 50-60 मीटर की दुरी पर यह माँ दीबा देवी का मंदिर स्थित है| यहाँ पर हमेशा रोडवेज बसे चाय व नाश्ता करने के लिए रुकती जरूर है|
धन्य है देवभूमि जहाँ ऐसी देवी ने अवतर लेकर अपने भगतो को शत्रु से बचाया

जय माँ दीबा देवी 

ब्लॉग पढ़ाने के लिए तहे दिल से धन्यवाद 



 आपका अपना मित्र 
विजय सागर सिंह नेगी (सागरी)
फ्रॉम-टिहरी गढ़वाल