शिव के धाम: केदारनाथ मंदिर का महत्व | Kedarnath Temple ki kahani

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शिव के धाम: केदारनाथ मंदिर का महत्व | Kedarnath Temple  ki kahani

नमस्कार दोस्तों आपका फिर से स्वागत है हमरे नेगी उत्तराखड़ी ब्लॉग के आर्टिकल में आज हम आपको जिस जगह में बताने जा रहे है  आप लोग पहले से ही उस जगह को जानते होंगे जी हा हम बात कर रहे है|  

शिव के धाम: केदारनाथ मंदिर का महत्व | Kedarnath Temple ki kahani

हिमालय की गोद में बसे चार धामों में से एक उत्तराखंड में उपस्थित केदारनाथ मंदिर(Kedarnath Temple ) के बारे है जिसका हमारे मन में आस्था का भाव आए जाता है और मन और आत्मा को जहा पहुंच कर सन्ति मिलती है ऐसे ही केदारनाथ मंदिर की पौराणिक आस्था से जुडी कहानी जो अपने आज से पहले नहीं सुनी होगी आपको इस आर्टिकल के जरिये हम आज बातये की क्यों इसे शिव भगवान का स्थल भी कह जाता है| 

औरकेदारनाथ मदिर  (Kedarnath Temple) रोचक रहस्य से भी इस ब्लॉग पोस्ट में राज खोलेंगे और आपको यह भी बतायेगे की केदारनाथ मदिर  (Kedarnath Temple) यह कैसे बन कब बना और किसने बनया और आप केदारनाथ में किस किस जगह से होकर जा सकते है तो चलते है इस आस्था के प्रतीक और चार धामों में से एक केदारनाथ मदिर  (Kedarnath Temple) की कथा जानते है | 


केदारनाथ की असली कहानी क्या है? (Kedarnath Temple Story)

पहली कथा (केदारनाथ शिवलिंग के पीछे क्या कहानी है?):

जब बर्मा जी ने यह सीतरष्ठि बनई तो इसकी  सुरक्षा लिए उन्होंने नर  नारयण नाम के दो ऋषियों का अवतार लिया उन्होंने केदार के गंदमादवन पर्वत पर भगवान शिव को प्रशना करने के लिए तप किया | भगवान शिव उनकी तपश्या  खुश  उन्हें वरदान मांगने को कहा तब नर नारयण ने शिव से अपने रियल रूप में केदार में रहने का वरदान माँगा  भूमि को भगवान शिव का घर माना जाता है | 

दूसरी कथा:

केदारनाथ मदिर  (Kedarnath Temple) का निर्माण पांडवो ने बनवया था | महभारत के युद्ध की  सुनी ही होगी पर इस युद्ध बाद  किसी  पता इस युद्ध  के लिए कई अपने भाइयो और गुरुओ का मरने का पीड़ा हुआ पांडव से | इस पर पांडवो को कई दोष लगे | तब कृष्ण भगवान ने पंडाओं को केदारनाथ के जगह भेजे | इस पर 5 पांडव और द्रोपती केदारनाथ  और चले आये | | 

कहते है की भगवान शिव पांडवो से उनके भाइयो और उनके गुरुओ की हत्या के लिए नाराज थे इस लिए वे पांडवो को दर्शन नहीं देना चाहते थे लेकिन माता  से दर दर भटकाते पांडवो की यह हालत देखि नहीं गयी जिसके बाद गुप्तकाशी में उन्होंने पांडवो को दर्शन दिए | बेचैन होते हुए पांडवो ने माता पार्वती माता से भगवन  पता पूछ जिसपे माता पार्वती  कहा की में भगवन शिव की इस खोज  मदत नहीं  आपको बात सकती  रस्ते जाना है | 

पांडव  पार्वती के बताये हुए रास्ते पर चलने लगे रस्ते  उन्हें भेसो  झुंड मिला, युधिस्तर जानते थे की एक बार भगवान  भस्मासुर युद्ध के  भेश का रूप लिया था उन्हें समज आ गया था की हो न हो इन्ही भेसो की झुंड़  न कहि  छुपे है युधिष्टर ने भीम से कहा की इन भेसो  एक कर झुंड़ से बहार निकालो  कही भगवन शिव मिलेंगे भीम  की बात सुनकर भेसो  झुंड़  भगवन शिव को ढूंढने लग गए | 

 भीम  भेसो अपनी टागो के बिच  को मजबूर किया लेकिन लेकिन उनमे से एक भेस भीम की टागो के बीच से जाने को तैयार नहीं था वह भेस अपने को सर को जमीन में मरने  लगा  | भीम  उस भेस की पूछ  पकड़ लिया और उसे जमींन से खींचने लगे | भीम  कठिन प्रयाश करने पर भी  भेस का सिर्फ पिछल हिस्सा  बाहर आ सका भगवन शिव पांडवो की इस तपस्या से खुश होकर उन्हें दर्शन दिए  और उन्हें पाप  मुक्त किया| मंदिर में आज भी भगवान के उसी रूप की पूजा होती जो भीम द्वारा ऊपर खींचा गया था | इसके अलवा भगवन शिव के बाकि 5 हिस्से निकले जिन्हे पंचकेदार कह जाता है | 

1. तुंगनाथ मंदिर :शिव की भुजा की पूजा 

2. रुद्रनाथ मंदिर :मुख की पूजा 

3.कल्पेश्वर मंदिर: जटा की पूजा 

4. माहेश्वर मंदिर:नाभि की पूजा 

5.  पशुपतिनाथ (नेपाल):धड़ की पूजा 

  

केदारनाथ धाम का इतिहास क्या है? 

 प्राचीन कथाओ के अनुसार केदारनाथ मदिर का बनवाने का का कार्य महाभारत कल में हुआ था | पांडव ने अपने  पाप  ख़तम करने के लिए यह मंदिर बनया था | दूसरी कथा यह  शंकार्यचर्या ने बनया था  इन  कथा का पूर्ण कहानी बातएंगे यह मंदिर करीब 400 वर्षो  तक बर्फ में जमा हुआ था उस वकत किसी  पत्ता नहीं था  कोई मंदिर भी है | 

तीर्थ स्थान में से एक केदारनाथ की कथा (Kedarnath Temple) के अनुसार यह मंदिर भगवन शिव का  और समुंदर तल से करीब 3393 फ़ीट  पर बना  यहाँ भारत के मंदाकनी नदी के पास गढ़वाल हिमालय पर स्थित है | यहाँ मंदिर 80  फ़ीट चौड़ा और 85  फ़ीट ऊंचा है ,इसकी दिवारवारे करीब 12 फ़ीट है , यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है | यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है | 1200 सालो से यह मंदिर आज भी यही टिका होता है |    

केदारनाथ मदिर कपट कब खुलते  है 

केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) के कपट 6 महीनो  लिए खुलते है  अक्षय तृतीया को खुलकर भाई दूज तक खुले रहते है (मई से लेकर  अक्टूबर  नवंबर) यह आप लोग दर्शन कर सकते है |  केदारनाथ के मुख्य पुजारी को रावल कहा जाता है जो कर्णाटक के विरचेभ  से आते है | 

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केदारनाथ त्रासदी कब हुई थी?

केदारनाथ मंदिर  (Kedarnath Temple) में त्रासदी साल 2013 में आयी  में कई  श्रद्धालुओं की मौत हुई थी जिसमे  माल का नुकसान हुआ था | लेकिन केदारनाथ मंदिर  (Kedarnath Temple)  कुछ नहीं हुआ | 

केदारनाथ मंदिर  (Kedarnath Temple) के पीछे क्या है?

केदारनाथ आयी त्रासदी में मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ था क्युकी उस समय बड़ी सा पत्थर मंदिर के पीछे आकर रुक गया मंदिर  पीछे आती हुए परलय को दो भागो  विभाजित कर दिया इस सिला को आज भीम शिला के नाम  जाना जाता है | 

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कहाँ से होकर जाते है  केदारनाथ मंदिर 

आपको बात दे  केदारनाथ Kedarnath Temple में कोई रेलवे सटेशन नहीं है इसका सबसे नजदीकी रेलवे station ऋषिकेश है ,  nearest Airport Joli Grant है ,आपको केदारनाथ जाने के लिए  हिमगिरि की बसों के जरिये केदारनाथ जा सकता है | ऋषिकेश से केदारनाथ 216 km है | गौरीकुंड से लगभग 16 km की पैदल यात्रा कर आप केदारनाथ मंदिर आ है | 

उम्मीद है  यह ब्लॉग अच्छा लगा हो ब्लॉग में हमने शिव धाम केदारनाथ मंदिर   के कथा और यहाँ यह कैसे पहुंचे आपको इस ब्लॉग में बतया गाया है ऐसे ही ब्लॉग पढ़ने के लिए नेगी उत्तराखड़ी वेबसइट पर विजिट करते रहिएगा और आप इस तरह के अन्य जगहो  के बारे में ब्लॉग चाहते है कमेंट में जरूर लिखना न भूले |