उत्तराखंड के टिहरी का एक खूबसूरत सा हिमालय के मध्य में स्थित पंवाली कांठा बुग्याल

Vijay Sagar Singh Negi
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उत्तराखंड के टिहरी का एक खूबसूरत सा हिमालय के मध्य में स्थित पंवाली कांठा (बुग्याल)
उत्तराखंड के टिहरी का एक खूबसूरत सा हिमालय के मध्य में स्थित पंवाली कांठा (बुग्याल) 




 उत्तराखंड बुग्याल पंवाली कांठा (बुग्याल)

नमस्कार दोस्तों आज  आप सभी लोगों को इस ब्लॉग के जरिए, गढ़वाल  के सबसे बड़े  बुग्याल के बारे में अवगत कराते हैं जो उत्तराखण्ड के टेहरी गढ़वाल  में उपस्थित  है  तो शुरू करने से पहले  चंद पंक्तियां इस बुग्याल के लिए -

त्तराखंड में पाए जाते हरे-भरे घास के मैदान हैं ,
 कहते इन्हें बुग्याल है
हिमालय की तलहटी में फैले यह हरे भरे घास के मैदान
 कहते इन्हें बुग्याल है
कब तक झेलते रहोगे गर्मी की मार को
 कभी तो घूमने जाओ बुग्याल को
कार गाड़ी में घूमने के लिए जिंदगी पड़ी है
 पैदल भी चला करो इस बुग्याल को
कब तक देखते रहोगे पहाड़ को 
कभी तो कदम बढ़ा कर आया करो  बुग्याल को
कब तक ऐसे ही पढ़ोगे बुग्याल को 
चलो कभी तो आओ  घूमने  बुग्याल को
 यूट्यूब पर कब तक देखते रहोगे इनके बारे में
 कभी तो खुद आओ घूमने बुग्याल को
धरती में ही स्वर्ग देखना हो तो  पधारो बुग्यालों में
चलो बात करते है एक बुग्याल की
 जिसका नाम पंवाली है
टिहरी जिले में है उपस्थित 
यहां प्यारा  सा बुग्याल है


तो चलो दोस्तों शुरू करते हैं व इस बुग्याल के बारे में संपूर्ण जानकारी के लिए अंतिम पंक्तियों तक पढ़े तभी आपको इस बुग्याल की सुंदरता के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल पाएगी आज हम ऐसे बुग्याल के बारे में जोकि उत्तराखंड में स्थित टिहरी गढ़वाल जिले में उपस्थित है तथा अपनी सुंदरता और पहाड़ से लदे हरे-भरे घास के मैदानों के लिए प्रसिद्ध है उस बुग्याल का नाम है पंवाली कांठा (बुग्याल)  !

बुग्याल होते क्या है

बुग्याल का अर्थ है हिमालय के नीचे उपस्थित यह हरे भरे घास के मैदान होते हैं व पहाड़ों में घने जंगल का रास्ता जब खत्म हो जाता है   तो ऐसे मैदान आते हैं  जिसमें पेड़ों की संख्या कम होती तथा ऐसे मैदान जो हरे भरे घास से ढके  होते हैं तथा  इनमें बारहमास  हरियाली  ही हरियाली होती ह
 इन्हें ही बुग्याल कहा जाता है गढ़वाल में ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जहां ऐसे बुग्याल उपस्थित है  बुग्याल अक्सर ऐसे मैदान होते हैं जिनमें पेड़ पौधे कम होते हैं तथा इसमें घास के बड़े-बड़े मैदान होते हैं.
 सैलानियों पर्वतारोही  इत्यादि घूमने का आनंद लेते हैं दूर-दूर तक हरे घास के मैदान तथा मनमोहक पर्वतों का अपने चारों ओर का दृश्य अति मन को शांति प्रदान करता है तथा उन घास में पड़े रहने पर कुछ ऐसा एहसास होता है मानो स्वर्ग में बिस्तर में पड़े हो वहां ठंडी ठंडी हवा आपके शरीर को छूकर गुजरती है इन मैदानों में आकर आनंद आता है यहां से केदारनाथ धाम जाने का रास्ता भी है.

पंवाली कांठा (बुग्याल)  के बारे में

यह बुग्याल  उत्तराखण्ड के टेहरी गढ़वाल  में उपस्थित  है तथा  पर्वतारोही तथा सैलानियों के लिए घूमने का एक अच्छा स्थान है इसमें बहुत से सैलानी तथा पर्वतारोही हर साल आते हैं तथा इसमें ट्रैकिंग करते 11000 फीट की ऊंचाई पर उपस्थित यह गढ़वाल का यहां सबसे बड़ा बुग्याल हैं यह  बुग्याल 4 किलोमीटर तक फैला हुआ है तथा यहां खतलिंग ग्लेशियर के पास ही पड़ता है यहां अलग-अलग प्रकार की फूल जड़ी बूटियां मिलती है तथा यहां पत्थरों की शिला पर सफेद कलम उपस्थित होते हैं, अप्रैल और महीने यहां लाल और गुलाबी फूलों के गुच्छे पाए जाते हैं जो कि सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है अक्सर लोग यहां घूमने आते हैं शीतकालीन में लोग यहां दूर-दूर से खेल खेलने आते हैं तथा इसमें शीतकालीन  क्रीडा होती है तथा कई लोग यहां शीतकालीन क्रीड़ा इत्यादि करने आते हैं |


यहां चारों ओर से हिमालय के दर्शन तथा बीच में उपस्थित यहां  हरे भरे घासो से ढका हुआ मैदान मन मुग्ध कर देता है दूर दूर तक फैला हुआ मैदान और चारों तरफ पहाड़ियों से घिरा हुआ हिमालय ऐसा लगता है मानो जैसे कि हम कहीं स्वर्ग के रास्ते में हो और कोई नहीं हमारे साथ हम अकेले इस मनमोहक स्वर्ग में घूम रहे हो और  आनंदित मन से इस प्राकृतिक सौंदर्य का एहसास कर रहे हो |

 

पंवाली कांठा (बुग्याल)  जाने का रास्ता

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यहां पहुंचने के लिए आपको उत्तराखंड आना पड़ेगा तथा  ऋषिकेश से टिहरी के रास्ते घनसाली होकर  घुत्तू  तक आपको बस या प्राइवेट सेवा उपलब्ध हो जाती है अक्सर लोग घुत्तू घनसाली दोनों का नाम एक साथ लेते हैं इससे लोगों को लगता है कि यह दोनों स्थान एक ही है एक ही जगह पर स्थित है.
 लोगों में कन्फ्यूजन हो जाता है (घुत्तू और घनसाली दोनों अलग-अलग जगह के नाम है  क्योंकि ये  घनसाली ब्लॉक में उपस्थित है  इसलिए से  घुत्तू घनसाली कहते हैं) जब आपको तो पहुंचेंगे तो वहां से आपको 8 से 10 किलोमीटर पैदल चलकर जाना होगा तथा त्रियुगी नारायण तक पूरा किया जाता है ,त्रियुगी नारायण में स्थित शिव मंदिर का हिन्दू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व है | ऐसा माना जाता हैं कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु की उपस्थिति में शिव पार्वती का विवाह हुआ था| तब जाकर आप इस बुग्याल में पहुंच सकते हो इससे आगे जाने पर च्य बुग्याल जोकि इस स्कीइग के लिए जाना जाता है तथा यहां अनेक प्रकार की जड़ी बूटियां पाई जाती जो कि वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय  बना हुआ है| इस  बुग्याल के बारे में हम अगले ब्लॉक में बात करेंगे

कुछ विचार ऐसे बुग्याल के लिए जो हमारे उत्तराखंड में उपस्थित


हमारे उत्तराखंड में बहुत सारे ऐसे बुग्याल या पर्यटन स्थल है जिनको आज तक कोई भी इतनी ज्यादा नहीं जानता यहां तक कि अधिकतर लोग यह भी नहीं जानते कि हमारे यहां यह स्थान उपस्थित है इसीलिए हमारी सरकार को ज्यादा से ज्यादा पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देना चाहिए तथा इनमें पर्यटन के साधन और बढ़ाने चाहिए ताकि दूर-दूर से और ज्यादा पर्यटक वहां आए तथा राज्य व उस स्थान के लोगों का विकास हो वाह उन्हें रोजगार मिले
ब्लॉक पढ़ने के लिए धन्यवाद ऐसी ही उत्तराखंड के पर्यटन स्थल बुग्याल व अन्य स्थानों  के बारे में जानने के लिए मेरी ब्लॉक जरूर  पढ़ते रहिए