Uttarakhand beautiful temple Oneswar Mahdevउत्तराखंड के मंदिर ओणेश्वर महादेव मंदिर

Vijay Sagar Singh Negi
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ओणेश्वर महादेव मंदिर 

नमस्कार दोस्तों आज हम टिहरी गढ़वाल में स्थित महादेव के शिव मंदिर के बारे में जानकारी देंगे जो कि अपने अलौकिक वह प्रकृति सौंदर्य के लिए जाना जाता है तो चलिए मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी जाने के लिए अंत तक जरूर पढ़ें

ओणेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जानकारी

महादेव का ऐसा मंदिर जो उत्तराखंड के जनपद टिहरी
गढ़वाल में ब्लॉक प्रताप नगर के पट्टी  ओण में स्थित ग्राम सभा देवाल में स्थित प्राचीन  मंदिर  है,इस मंदिर को भगवान शिव स्वरुप पूजा जाता  है ,पहाड़ों के बीच में उपस्थित हां मंदिर अपनी सुंदरता और मान्यता के लिए बहुत प्रसिद्ध है|मंदिर में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी दर्शन के लिए एक बार आए थे .
 इस मंदिर में श्रीफल ही चढ़ाए जाते हैं,एक श्रीफल और चावल अपने ईष्ट को पूजने की परंपरा इस मंदिर में सालों से हैं इस मंदिर में एक व्यक्ति पर ओणेश्वर महादेव  महादेव आते हैं जो कि नागवंशी राजा , पवार वंश के लोग व कई प्रमुख जाति पर अवतरित होते हैं देवता की पूजा के लिए ब्राह्मण  मंदिर में उपस्थित होते हैं| श्रावण मास में हजारों भक्त महादेव के दर्शन करने यहां आते हैं तथा  उनका जलाभिषेक अपने हाथों से करते हैं । ओणेश्वर महादेव मंदिर में महा – शिवरात्रि के दिन एक भव्य मेला भी लगता है। जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं|

पौराणिक कथा 

 स्थानीय लोगो के अनुसार एक बार जब वहां के लोग अपने देवता के कुछ निशान को लेकर उनके  निवास स्थान की ओर जा रहे थे , निवास स्थान की तरफ जाते समय गाँव के लोगो को जब थकन लगी तो वे एक कांटेदार पेड़ के नीचे बैठे जिस पेड़ को पहाड़ी में भेकल कहा जाता है .
जैसे ही वे आराम करके खड़े उठे तो कुछ  ऐसा हुआ जिससे वे सभी लोग परेशान हो गए हुआ यहाँ की जिस स्थान पर उन्होंने  देवता का निशान रखा था वह निशान उस स्थान से  टस से मस भी नहीं हो रहा था  लोगो के भरसक प्रयास करने पर भी वह वहां से नहीं हिला यहां सब देख कर कुछ लोगों अपने गांव की तरफ गए तथा वहां के लोग व बुजुर्गों से कहा कि हमारे देवता का निशान उस स्थान से उठ नहीं रहा हमारी भरसक प्यार करने के बाद भी|
कहा जाता है कि जब यहां घटना हुई तो उसी रात्रि में उस गांव के बुजुर्ग के सपने में उनके देवता है जोकि जटाधारी बालक शिव रूप में बुजुर्ग के सपने में आए तथा उन्होंने बुजुर्ग से कहा कि अब मेरा स्थान उसी कांटेदार पेड़ के नीचे हैं जहां पर गांव वालों ने मुझे आराम करते समय रखा था इसीलिए आप मेरा मंदिर उसी स्थान पर बनाएं क्योंकि मैं अब से वही वास करूंगा
सुबह उठते ही बुजुर्ग ने गांव वालों से स्वप्न की बात बताई तब सभी गांव वासियों ने उस स्थान पर एक मंदिर की स्थापना की तथा  वहां पर एक प्राकर्तिक रूप से विशाल लिंग था |जिसके साथ मंदिर की स्थापना की गई  जिसे हम आज ओणेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जानते हैं|


ओणेश्वर महादेव मंदिर की मान्यता

इस अलौकिक महादेव  मंदिर की उत्पत्ति कुज्जू सौड़ ओनालगांव के ऊपर मानी जाती है । लोगो के अनुसार एक बालक  कि अल्पायु में मृत्यु होने के कारण उक्त स्थान पर उस बालक द्वारा अलौकिक घटनायें की गई   गांव वालों का कहना है कि जब वे अपनी गायों को घास चुगने हेतु जंगलों में भेज देते थे तो उनकी गायों का वे सम्पूर्ण दूध पी जाया करते थे    
रात को स्वप्न में तरह-तरह की घटनाओं से सकार आदि अनेक उदाहरण आज भी वहां के स्थानीय लोगों द्वारा सुनने को मिलते हैं ओणेश्वर महादेव मंदिर के निकट एक कुंड है इस कुंड को सूरजकुंड कहा जाता है |कहा जाता है कि जो भी इस कुंड में स्नान करता है उसे गंगोत्री,हरिद्वार जैसे गंगा में स्नान करने के समान माना जाता है | एक रोचक बात यह भी बता दूं कि कहा जाता है मंदिर में आकर जो भी निसंतान स्त्री संतान प्राप्ति के लिए पूजा करती है उसे संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त हो जाता है, ऐसी यहां मान्यता है|

कहां से पहुंच सकते हैं

ऋषिकेश से 75 किलोमीटर न्यू टेहरी से लगभग 80-90 किलोमीटर दूरी पर स्थित है पट्टी ओण के मध्य ग्राम सभा देवल गांव में यह भव्य मंदिर है तथा या विकास खंड प्रताप नगर में पड़ता है आप यहां लुटेरी से लंबगांव होकर भी जा सकते हैं|

आपको यहां ब्लॉग कैसी लगी जरूर टिप्पणी में बताएं  तथा ब्लॉग करने के लिए धन्यवाद|